क्या हम धर्म और जाति और अतीत को खोदने के अलावा किसी भी चीज़ पर चर्चा कर सकते हैं जो मानव जीवन में सबसे व्यर्थ अभ्यास है? हमारे बच्चे पढ़ाई और नौकरी ढूंढने के लिए पश्चिमी देशों में भाग रहे हैं और हम, भविष्य की कोई योजना, रोड मैप और बेहतर शांतिपूर्ण सुखी जीवन के बारे में नहीं सोचते हैं। संपूर्ण पश्चिम, जापानी और चीन की कुछ आबादी कोडिंग, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में महारत हासिल करने के बाद, व्यापार व्यवधान प्रक्रिया को पूरा करने के बाद, 200 वर्षों के बाद एआर वीआर के साथ जीवन पर- समय को नापने और समझने पर काम कर रहे हैं । समय पर काम की शुरुआत स्टीवन हॉकिंस ने की थी ।(यह स्टीफ़न हॉकिंस एक पूर्ण विकलांग व्यक्ति था जो लगभग फोन जितने छोटे सैटेलाइट अन्य ग्रहों की तरह अन्य आकाशगंगाओं में भेजने के लिए सक्षम हो गया था ताकि वहाँ के जीवन को जान सके और पृथ्वी की रक्षा कर सके )
जहां हमारी सामाजिक बातचीत, शिक्षा-शिक्षण और सांस्कृतिक कार्यक्रम हमारे युवाओं को कट्टर धर्म जाति-उन्मुख बना रहे हैं और अप्रासंगिक धार्मिक और जातीय झगड़ों से भर रहे हैं। यह प्रयास हमारे बच्चों को तरक़्क़ी और शांत सुखी जीवन व्यतीत करने से रोक रहे हैं ।
विश्व में व्यापार व्यवधान 1980 से ही शुरू हो गया था और पिछले 44 वर्षों में एक भी चर्चा, विषय, सेमिनार, स्कूल , कॉलेज, सामाजिक चर्चा पाठ्यक्रम, टीवी बहस नहीं हुई (आश्चर्य की बात है कि सभी टीवी चैनल बहस, चर्चा, राय सम्मेलन के बीच अंतर भूल गए हैं) जिसमें इसकी सम परिभाषा पर और निर्णय लेने की चर्चा की गई होगी।
सत्तारूढ़ राजनीति और अधिकारियों के लिए यह उपयुक्त है, लेकिन आम आदमी जो बहुत पीड़ित है, वह अक्षमता, आलस्य और मनुष्य के अंदर छिपे पाशविक ईगो ( ईड) के इस जाल का शिकार हो गया है।
हमारी धन , अधिकार और बल की शक्ति को ,अपना अस्तित्व समाप्त कर , नमस्कार से भी अधिक पूजने की सोच इन सब कारणो से बढ़ती जा रही है । नतीजा यह है की हमारा मस्तिष्क का नियंत्रण लगभग पूरा खो दिया है और यह नियंत्रण आख़िरी छीर पर किसके हाथ में है हमें पता ही नहीं है । और आर्टफ़िसीयल इंटेलिजेन्स ( कृत्रिम सोचने की सकती ) के दुरुपयोग ने आग में घी डालने का काम किया है ।
यह साफ़ दिख रहा की आगे आनी वाली पीढ़ियाँ फिर अतीत को कोसेंगी और पश्चिम देशी को बुरा बुरा कहते हुए उनके राजदूत और उच्चायुक्त के कार्यालय के बहार मध्यम वर्ग के बच्चे रोज़गार और शिक्षा के लिए और अमीर वर्ग के लोग वहाँ की नागरिकता प्राप्त करने की लाइन में लगें होंगे ।
सबका यह मानना होगा कि पश्चिम देशी ने फ़ेस्बुक , ट्विटर , इन्स्टग्रैम और WhatsApp के द्वारा हमें छल लिया और हमारे बुद्धिमान लोगों और अमीरों को छीन कर हमारी सम्पत्ति लूट ली ।
आज भी जो लोग पश्चिम देशी को कोसते हैं कभी अपने और अपने परिवार के पासपोर्ट को नहीं दिखाते ना ही हमें यह बताते की उनके भोज , कपड़ा , उनकी समस्त सम्पत्तियों चल और अचल की सज्जा किस देश की है । फिर कभी उच्चायुक्त और राजदूत के अंतर पर चर्चा करेंगे जो की एक रहस्य है ।
सभी से क्षमा याचना, कोई आलोचना नहीं, बहुत-बहुत आदर, प्रेम और भावनाओं का ख्याल।💐💐💐🙏🏼🙏🏼